उसे भूल जाना चाहता हूं मगर उससे पहले याद करने का कोई फरिश्ता मिले जिंदगी में तन्हाइयों का जद्दोजहद झेल रहा हूं उम्र भर के लिए सुकून हो जाए ख्वाहिश है ऐसा कोई रिश्ता मिले
शक और स्वार्थ के वशीभूत होकर इंसान खूबसूरत रिश्तो में दरार डाल देता है जब हकीकत के पन्ने खुलते हैं फिर पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता है
मुझसे मेरा दिल फरियाद करने लगा है जो एक मुलाकात गवारा समझती नहीं है उसे रात दिन याद करने लगा है अब जिंदगी में तन्हाईयां रहती है किसी दूसरे का प्यार मन स्वीकार नहीं करता है
मुझे इश्क का खुमार चढ़ गया है आजकल नींद नहीं आती है हर वक्त ख्वाब देखने लगा हूं उसे अपना बनाने का रास्ता ढूंढने लगा हूं