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दिसंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पत्नी के खर्चों के बोझ तले इतना दबा हुआ हूं मैं

पत्नी के खर्चों के बोझ तले इतना दबा हुआ हूं मैं शाम हुए ना घर जाऊं दिल ये मेरा कहता है सारी कमाई दे देता हूं फिर भी नहीं चैन से रहता हूं

आके मेरी बाहों में अचानक लिपट गई

आके मेरी बाहों में अचानक लिपट गई बाहों में पाके उसको मदहोश हो गया बारिश हुई ऐसी के मेरी नींद खुल गई मैं बिस्तर उठा कर भागा और ख्वाबों को सोच कर मैं खामोश हो गया

तुम रख लो मेरे मोहब्बत को पैमानों पर

तुम रख लो मेरे मोहब्बत को पैमानों पर कितना प्यार करता हूं इसका अंदाजा हो जाएगा जिंदगी सवरने लगी है सपनों की तरह वह प्यार करते हैं मुझे आजकल अपनों की तरह